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बिजली की परेशानी पर

>> Wednesday, August 27, 2008

बिजली की परेशानी पर
जब सवाल हमने उठाया
उन्होने मुसकुरा कर
हमें ही दोषी बताया
बोले-------
यह परेशानी भी
तुम्हारी ही लाई है
सच-सच बताओ-
ये बिजली तुमने
कहाँ गिराई है ?
--------------------

तुम्हारी बातें भी अब
दिल तक पहुँच नहीं पाती हैं
बात शुरू होते ही--
बिजली चली जाती है--


प्रतिपल आती -जाती
बिजली से दुःखी हो
हमने बिजली दफ्तर में
गुहार लगाई
विद्युत अधिकारी ने
लाल-लाल आँखें दिखाई
अजीब हैं आप--
हम पर आरोप लगा रहे हैं
अरे हम तो आपका ही
खर्च बचा रहे हैं
इस मँहगाई में
बिजली हर समय आएगी
तो बिजली का बिल देखकर
आप पर------
बिजली नहीं गिर जाएगी ?

15 comments:

रंजू भाटिया August 27, 2008 at 7:09 PM  

बिजली की परेशानी बहुत झेल रही हूँ अच्छी लगी यह वाली ..बहाना अच्छा है :)अरे हम तो आपका बिल बचा रहे हैं ..:)

Ashok Pandey August 27, 2008 at 7:33 PM  

बहुत खूब। बिजली से हम भी त्रस्‍त हैं। ऐसे में हास्‍य-व्‍यंग्‍य से परिपूर्ण यह कविता पढ़ना अच्‍छा लगा।

आलोक साहिल August 27, 2008 at 8:38 PM  

किसी भी व्यंग के साथ एक बात बहुत मायने रखती है की वह कितना सामयिक और प्रभावी है,पर यहाँ आकर दोनों शर्तें बखूबी पुरी हो जाती हैं.बहुत अच्छा.
आलोक सिंह "साहिल"

Udan Tashtari August 27, 2008 at 8:51 PM  

मजेदार!!बहुत अच्छा.

पारुल "पुखराज" August 27, 2008 at 10:48 PM  

aapki vyathaa..sabki vyathaa...bahut acchha gunthaa hai aapney

राज भाटिय़ा August 28, 2008 at 12:46 AM  

शोभा जी आज आप की कविता मे हास्‍य-व्‍यंग्‍य देख कर अच्छा लगा, बहुत सुन्दर कविता लिखी हे आप ने धन्यवाद

Vinaykant Joshi August 28, 2008 at 6:19 AM  

बहुत अच्छी क्षणिकाएँ, बधाई |
दो शब्द मेरे भी |

बिजली के जलते
बल्ब को देखो
कही खुशियाँ
एक स्विच की
मोहताज तो नही ?

प्रदीप मानोरिया August 28, 2008 at 9:04 AM  

आपकी मूल्यवान टिप्पणी के लिए हार्दिक धन्यबाद .....कृपया नियमित आगमन बनाए रखें दो शब्द आपकी रचना के सिलसिले में
"यह परेशानी नहीं आसानी हो गयी
अंधेरे में हमसे भी कुछ तो नादानी हो गयी"
आपकी रचना अति सुंदर है
बधाई

Rajesh August 28, 2008 at 4:57 PM  

Bijlee per ekdam hi sahi vyangya hai aap ka yah. Sabhi logon ki pareshani aap ne hans kar hal kar di shobhaji!

डॉ .अनुराग August 28, 2008 at 8:02 PM  

उ.प वालो से पूछिए व्यथा किसे कहते है?

महेन्द्र मिश्र August 29, 2008 at 10:19 PM  

Bijali vyatha ke bare me achchi rachana . ham sabhi Bijali rani se pidit hai.

Dr. Chandra Kumar Jain August 30, 2008 at 3:58 PM  

बहुत सहज किंतु रोचक
और रचना की दृष्टि से सधी हुई प्रस्तुति.
============================
बधाई शोभा जी.
डॉ.चन्द्रकुमार जैन

ताऊ रामपुरिया August 30, 2008 at 4:19 PM  

रोचक और बेहतरीन रचना ! बधाई !

Smart Indian August 31, 2008 at 1:47 AM  

शोभा जी, बहुत खूब! प्रदीप की दो लाइनें भी अच्छी लगीं.

आशा जोगळेकर September 26, 2008 at 12:52 AM  

बिजली का बिल देख कर बिजली आप पर नही गिर जायेगी ? क्या बात है, बढिया व्यंग ।

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