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फिर आया फागुन

>> Wednesday, February 18, 2009

फिर आया फागुन….

फिर आया फागुन

रंगों की बहार

तुम भी आजाओ

ये दिल की पुकार


टेसू के फूलों ने

धरती सजाई

अबीर, गुलाल ने

चाहत जगाई

कोयल की कुहू

डसे बार- बार

तुम भी आ जाओ…
….

खिलती नहीं दिल में

भावों की कलियाँ

सूनी पड़ी मेरे

जीवन की गलियाँ

तुम बिन ना मौसम में

आए बहार

तुम भी आजाओ…..

14 comments:

परमजीत सिहँ बाली February 18, 2009 at 12:09 PM  

बहुत भाव भीनी रचना है।अच्छी लगी।धन्यवाद।

समयचक्र February 18, 2009 at 12:48 PM  

बहुत बढ़िया भावपूर्ण रचना .अच्छी लगी.बधाई.

रंजू भाटिया February 18, 2009 at 12:52 PM  

सच में आ गया फागुन आपकी लिखी कविता पढ़ कर यही लगा सुंदर लिखा आपने

Mohinder56 February 18, 2009 at 2:57 PM  

सुन्दर रचना... होली की आमद का खाका खींच दिया आपने.

Smart Indian February 18, 2009 at 6:03 PM  

सुन्दर रचना, मानो फागुन का साक्षात्कार हो गया आपकी कविता में!

राज भाटिय़ा February 18, 2009 at 11:10 PM  

अरे वाह आप की कवित मै तो सच मुच फ़ागुन का मजा आ गया, बहुत सुंदर धन्यवाद

Alpana Verma February 19, 2009 at 1:33 AM  

अरे फागुन आ गया??
फागुन के आते ही पिया का इंतज़ार करती यह कविता सुंदर लगी.

Anonymous February 19, 2009 at 10:57 AM  

fagun par rangon ki bauchaare karne ko taiyaar hai ham bhi
sambhalanaa jaraa pakke rangon se
bagai paani shabdon ki holi blog par hi kheli jaayegi

Prakash Badal February 22, 2009 at 1:39 AM  

बहुत सुन्दर कविता बड़े दिनो बाद आया और पहली ही कविता अच्छी लगी।

Arvind Mishra February 22, 2009 at 9:01 AM  

श्रृंगारपूर्ण ....आशावादी !

Science Bloggers Association February 25, 2009 at 3:21 PM  

रूमानी जज्बातों से परिपूर्ण एक सुन्दर रचना है जिसके लिए आपको निश्चित रूप से बधाई दी जानी चाहिए।

L.Goswami March 2, 2009 at 6:57 PM  

बहुत सुन्दर !!

डा ’मणि March 5, 2009 at 7:28 PM  

सादर अभिवादन शोभा जी
पहले तो मेरे ब्लोग पे पधारने और स्नेहिल टिप्पणी के लिये बहुत धन्यवाद

दूसरे आपकी सुन्दर कविता के लिये बहुत बधाई

स्नेह बनाये रखियेगा
डा.उदय मणि

Rajesh March 9, 2009 at 5:37 PM  

Fagun ke is tyohar per Holi mein Tesu ke rang aap ko bahot bahot mubarak Shobhaji

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